द्वितीय पाक्षिक टेस्ट ,कक्षा - 9वीं, विषय - हिन्दी, माह - अगस्त 2021 का संपूर्ण हल | pakshik test - 2 2021 class 9 hindi august full solution

इस ब्लॉग में हम देखने वाले हैं छत्तीसगढ़ बोर्ड:- कक्षा - 9वीं, विषय - हिन्दी, पाक्षिक टेस्ट क्रमांक - 2,माह - अगस्त 2021 का संपूर्ण हल

आप इनका उत्तर अपनी कॉपी में लिख लिजीए-

पाक्षिक जांच परीक्षा क्रं - 02 

( माह अगस्त)

कक्षा नवमीं

विषय- हिन्दी

टीप:- सभी प्रश्न निर्देशानुसार हल करें। प्रश्न 1. खण्ड ( अ ) सही विकल्प चुनकर लिखिए

( अ ) छ.ग.राज्य का सबसे अधिक ठंडा क्षेत्र है

1. कांकेर

3. मैनपाट

2. कवर्धा

4. अंबिकापुर
उत्तर अंबिकापुर
(ब) तीजन बाई प्रसिद्ध गायिका है

1. कर्मा

3. भरथरी

2. पंडवानी

4. ददरिया
उत्तर पंडवानी
(स) नरेश किस संधि का उदाहरण है

1. स्वर
2. व्यंजन
3. विसर्ग
4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर स्वर

(द) सभागार है

1. प्रेक्षागृह 2. नाट्यकक्ष
3. सभाकक्ष
4. उपरोक्त सभी

उत्तर उपरोक्त सभी

(इ)संधि के भेद होते है—

1. एक
2. दो
3. तीन
 4.चार
उत्तर तीन


.





प्रश्न 1. खण्ड (ब) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(अ) मूल शब्द के बाद लगने वाला शब्द उपसर्ग.कहलाता है।


(ब) संगीत मे सात स्वर होते है ।

(स) अपूर्व अनुभव पाठ के लेखक तेत्सुको कुरिया नागी....है
अति लघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3 मतराही क्या है?
उत्तर उत्तर मिलने पर कमेंट बॉक्स में पिन कर दिया जाएगा


प्रश्न 4 पेड पर चढ़ने के सुखद अनुभव को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर हाँ, एक बार मैं एक पेड़ पर चढ़ गया। यह बहुत ही रोमांचक अनुभव था। हालांकि चढ़ाई करते समय मैं बिल्कुल भी नहीं डरता था लेकिन एक बार ऊपर चढ़कर नीचे की ओर देखा, एक पल के लिए जरूर। मैं डर गया था, मैं कभी गिरा नहीं था।
 प्रश्न- 5 टिप्पणी लिखिए

1. ग्रंथालय ।

2. ललितकला ।
उत्तर 1. ग्रंथालय :-
 डां एस. आर. रंगनाथन भारत के ग्रंथालय विज्ञान के जनक ने ग्रंथालय की व्याख्या इस प्रकार की है ग्रंथालय ऐसी सार्वजनिक संस्था या प्रतिष्ठान है जिसका दायित्व और कर्त्तव्य ग्रंथालय संग्रह की देख भाल करना तथा इन्हे उन लोगों को उपलब्ध कराना है जिनकी इन्हें आवश्यकता है।

इस प्रकार उपयुक्त परिभाषाओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ग्रंथालय में मानव विचारों के अभिलेखों का सुव्यवस्थित संग्रह होता है इन अभिलिखों के भौतिक स्वरूपों में पाण्डुलिपि पुस्तकें पत्रिकाएँ, ग्राफ, माइकोफिल्म, चार्ट आदि। इन अभिलेखों की व्यवस्था एवं सुरक्षा की जाती है जिससे भविष्य में उपयोगकर्ता द्वारा प्रभाव ढंग से उपयोग हो सकें।

2. ललितकला:-

निम्नलिखित सभी कला जो मानवीय भावनाओं को प्रदर्शित करती है वह ललित कला कहलाती है । इसके माध्यम अलग – अलग होती हैं । जो कला जिस ख़ास माध्यम से पिरोया जाता है उसे उसके अनुसार नाम दे दिया जाता है ।

ललित कला मन को सुखद अनुभूति तथा मन के सुकून के लिए है । यह मानसिक सुंदरता की ओर अग्रसर रहती है । यह भौतिक और उपयोगी तत्व से अलग तत्व है ।
ललित कला के प्रकार-
वास्तुकला (Architecture)
मूर्तिकला (Sculpture)
चित्रकला (Painting)
काव्यकला (Poetry)
संगीत कला (Musical Art)

लघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6 संधि की परिभाषा लिखकर प्रकार बताइए 

उत्तर सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृतहिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे - सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।
सन्धि तीन प्रकार की होती हैं -

स्वर सन्धि (या अच् सन्धि)
व्यञ्जन सन्धि { हल संधि }
विसर्ग सन्धि


प्रश्न 7. क्षेत्रीय लोकगीतों की कोई तीन विशेषताएं बताइए।
उत्तर क्षेत्रीय लोकगीतों की विशेषताएं

1. लोक संगीत का कोई निश्चित लिखित नियम नहीं होता है। हालांकि एक विशिष्ट प्रतिरूप लोक संगीत में आवश्यक होता है।

2. लोक संगीत के गीतों में पुनरावृत्ति होती है। गीत की पहली पंक्ति महत्वपूर्ण होती है और सामान्यतः अन्य पंक्तियों का निर्धारण इसकी लय पर ही होता है।

3. कुछ लोक संगीतों के गीत प्रश्नावली के प्रारूप में होते हैं। गीत के प्रथम पद में प्रश्न होता है और उसी गीत के अगले पद में उत्तर भी होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 8. दृढ निश्चय और कठिन परिश्रम से पेड पर अपने मित्र को चढाने के बाद तोतो चान और यासुकी चान की खुशी को अपने शब्दों में लिखिए |

अथवा

लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि यह यासुकी चान के लिए पेंड पर चढने का पहला और अंतिम अवसर था ।

उत्तर:- तोत्तो-चान का अनुभव – तोत्तो-चान स्वयं तो रोज ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी और खुश होती थी परंतु आज पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे प्रसन्नता के साथ-साथ अपूर्व आत्म संतुष्टि भी प्राप्त हुई।
यासुकी-चान का अनुभव – यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ कर अत्यधिक प्रसन्नता हुई उसकी मन की इच्छा पूरी हो गई। उसने पेड़ पर चढ़कर दुनिया को निहारा।
प्रश्न 9. छत्तीसगढ़ के निम्त स्थानों का परिचय दीजिए

1 खैरागढं 2 रतनपुर 3. भोरमदेव

अथवा

. छत्तीसगढ़ की प्रमुख लोककथा के विषय में बताते हुए उनके प्रमुख गायकों के नाम लिखिए । । -000

उत्तर 1 खैरागढं:- 
खैरागढ़ भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का एक कस्बा है। खैरागढ़ राज्य ब्रिटिश भारत के पूर्व मध्य प्रांतों का एक सामंती राज्य था।[1] पन्दद (खैरागढ़ से 8 किलोमीटर) छत्तीसगढ़ के सबसे ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यहां के प्रमुख को, जो पुराने नागवंश राजपूतों के शाही परिवार से सम्बंधित थे, को 1898 में एक वंशानुगत भेद के रूप में राजा का खिताब मिला। राज्य में एक उपजाऊ मैदान, उपज चावल क्षेत्र शामिल थे।[2]

2 रतनपुर :- 'रत्नपुर' छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर ज़िले में स्थित एक ग्राम और नगर पंचायत है। यह बिलासपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रतनपुर विभिन्न राजवंशों के शासकों द्वारा लाये गए विशाल ऐतिहासिक बदलावों का साक्षी रहा है। यहाँ प्रवेश करते ही हैहय राजवंश के बाबा भैरवनाथ क्षेत्रपाल सिंह की एक नौ फुट लंबी मूर्ति देखने को मिलती है। मंदिरों की संख्या के कारण स्थानीय रूप से इस स्थान को छोटी काशी भी कहा जाता है। यह स्थान दुल्हरा नदी के तट पर है।
इतिहास-
रतनपुर बिलासपुर से 10 मील दूर, छत्तीसगढ़ के हैहय नरेशों की प्राचीन राजधानी है। 11वीं शती ई. के प्रारंभिक काल से ही प्राचीन चेदि राज्य के दो भाग हो गये थे- 'पश्चिमी चेदि', जिसकी राजधानी त्रिपुरी में थी और 'पूर्वी चेदि' या 'महाकोसल', जिसकी राजधानी रत्नपुर थी। कहा जाता है कि रत्नपुर में पौराणिक राजा मयूरध्वज की राजधानी थी। छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजाओं का बनवाया हुआ एक दुर्ग भी यहां स्थित है। रत्नपुर में अनेक प्राचीन मंदिरों के अवशेष हैं।[1]
3. भोरमदेव:-
भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में कबीरधाम से 18 कि॰मी॰ दूर तथा रायपुर से 125 कि॰मी॰ दूर चौरागाँव में एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है।मंदिर के चारो ओर मैकल पर्वतसमूह है जिनके मध्य हरी भरी घाटी में यह मंदिर है। मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब भी है। इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है जिसके कारण लोग इस मंदिर को 'छत्तीसगढ का खजुराहो' भी कहते हैं। यह मंदिर एक एतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे। भोरमदेव , शिवजी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पडा।


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