आप इनका उत्तर अपनी कॉपी में लिख लिजीए-
प्रश्न (1) टिप्पणी कीजिए --
उत्तर -
गरबीली गरीबी: गरीबी में प्राय: मनुष्य हताश निराश और दुखी होकर अपना धैर्य खो बैठता है। तब उसका जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण हो जाता है। यहाँ कवि ने गरीबी को गरबीली बताकर उसे आत्म सम्मान का रूप दे दिया है।
भीतर की सरिता: इस कथन का तात्पर्य यह है कि हृदय के भीतर प्रेम भाव की नदी (झरना) बहती है। यहाँ भावनाओं के प्रवाह को ही सरिता कहा है। कवि के हृदय में भावनाओं का अंत प्रवाह बह रहा है। इसमें पवित्र जल है।
प्रश्न (2) बहलाती सहलाती आत्मीयता बर्दाश्त नहीं होती है - कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकार है में में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं। समझाइए
उत्तर -
कवि प्रिय की बहलाती सहलाती आत्मीयता को बरदाश्त भी नहीं कर पाता फिर भी उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि भाव प्रवणता की मन:स्थिति में है। वह अति से उकताता है पर सहज रूप को सहर्ष स्वीकार कर लेता है। अत: हम इनमें अंतर्विरोध की स्थिति नहीं पाते।
प्रश्न 3 अतिशय मोह भी क्या त्रास का कारक है - अपने अनुभव के आधार
पर बताइये
उत्तर -
अतिशय मोह भी त्रास का कारण होता है। ऐसे अनेक कष्ट निम्नलिखित हैं बेटी की विदाई।
प्रिय व्यक्ति का साथ छूटना।
मनपसंद खाद्य वस्तु उपलब्ध न होना ।
माँ-बाप के बिछुड़ने का कष्ट।
स्कूल जाते समय परिवार वालों से दूर होने का कष्ट ।
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